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सावन और भाद्रपद के महीने भारत में त्योहारों की लड़ी ले आते हैं। इस साल 26 अगस्त 2025, मंगलवार को हरतालिका तीज मनाई जाएगी। पंचांग अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह व्रत रखा जाता है।
हिंदू धर्मशास्त्रों में वर्णित है कि इसी दिन माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। यही कारण है कि विवाहित और अविवाहित महिलाएँ इस दिन व्रत रखकर देवी पार्वती-शिव से अखंड सौभाग्य व उत्तम वर की कामना करती हैं।
पंडितों ने दी जानकारी: शुभ मुहूर्त और नवपंचम योग
वाराणसी स्थित काशी विद्या परिषद के आचार्य पंडित कमलेश त्रिपाठी ने बताया:
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हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल तृतीया को किया जाएगा।
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तृतीया तिथि आरंभ: 25 अगस्त 2025 रात 11:48 बजे से।
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तृतीया तिथि समाप्त: 26 अगस्त 2025 रात 8:12 बजे तक।
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पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त: 26 अगस्त को सुबह 6:10 बजे से 8:30 बजे तक।
इस बार बन रहा "नवपंचम योग" इस पर्व के महत्व को और शक्तिशाली बना रहा है। धार्मिक मान्यता है कि इस योग में किए गए व्रत-पूजन से सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में स्थिरता आती है।
पूजा विधि (पंडितों द्वारा बताई गई)
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तृतीया तिथि पर सुबह स्नान कर देवी पार्वती-शिव की प्रतिमा रेत या बालू से बनाएं।
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घी का दीपक जलाकर रोली, अक्षत, फूल अर्पित करें।
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भगवान गणेश का पूजन करके व्रत की शुरुआत की जाती है।
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रात्रि तक व्रत रखकर कथा सुने और आरती करें।
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अगले दिन सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें।
सुरक्षा और सामाजिक पहलू
देशभर के प्रमुख मंदिरों – जैसे खजुराहो का मातंगेश्वर मंदिर, वाराणसी का काशी विश्वनाथ, और उज्जैन महाकालेश्वर – में लाखों श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है। स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा हेतु अतिरिक्त पुलिस बल और मेडिकल कैंप लगाने की घोषणा की है।
निष्कर्ष
हरतालिका तीज 2025, नवपंचम योग में आ रही है, जो इसे और पवित्र बना रही है। जैसा कि पंडित त्रिपाठी कहते हैं, “यह व्रत केवल परंपरा नहीं, बल्कि परिवार, आस्था और स्त्री-शक्ति का उत्सव है।”
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